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पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का निधन

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नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे का बुधवार को यहां के एक अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उनके एक मित्र ने यह जानकारी दी।

दुबे के मित्र मनोरंजन मोहंती ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वह गत कुछ हफ्तों से बीमार चल रहे थे और इस महीने की शुरुआत में उन्हें दिल्ली के फोर्टिस (एस्कोर्ट) हार्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें हृदय संबंधी बीमारी थी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी थीं। प्रोफेसर दुबे ने आज अपराह्न अस्पताल में अंतिम सांस ली।’’

उन्होंने बताया कि दुबे के परिवार में पत्नी और दो बेटिया हैं।

अनुभवी राजनयिक दुबे 1990 से 1991 के तक भारत के विदेश सचिव रहे। उन्होंने बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त और संयुक्त राष्ट्र संगठन जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि की भी भूमिका निभाई।

मोहंती ने बताया कि बृहस्पतिवार शाम को लोधी रोड श्मशान घाट पर उनका दाह संस्कार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विदेश सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद दुबे नयी दिल्ली से संचालित काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) के अध्यक्ष भी रहे।

पूर्व विदेश सचिव को नि:शस्त्रीकरण मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था।

सीएसडी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक दुबे का जन्म 1933 में अविभाजित बिहार में हुआ था और पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी। बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। कलकत्ता विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में करीब आठ साल तक बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और यूएनडीपी दोनों के मुख्यालयों में भी अपनी सेवाएं दी।

दुबे ने ‘इंडिया फॉरेन पॉलिसी : कोपिंग विथ द चेंजिंग वर्ल्ड’ नाम की किताब भी लिखी।

Daily Jagran
Author: Daily Jagran

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