जयपुर. फर्जी डिग्री और स्पोर्ट्स सर्टिफिकेट बांटने और लाखों रुपए की कमाई करने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो गया है. इसमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी का संचालक जोगेंद्र सिंह समेत अन्य को अरेस्ट करते हुए एसओजी की टीम ने गहन पूछताछ शुरू कर दी है. जोगेंद्र सिंह 12 जुलाई तक रिमांड पर है. जोगेंद्र सिंह और जितेंद्र यादव तक पहुंचने के लिए एसओजी ने चार महीने तक साक्ष्य जुटाकर डिकॉय ऑपरेशन कर गैंग का खुलासा किया है. डीआईजी एसओजी राजस्थान परिस देशमुख ने बताया कि गिरफ्त में आया जोगेंद्र सिंह हरियाणा में रोहतक जिले का रहने वाला है.
एसओजी के मुताबिक जोगेंद्र सिंह आज से करीब 11 साल पहले एनसीआर में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में काम करता था. वहां फर्जी डिग्री बेचने कर मोटी रकम वसूलने वाला रैकेट में जोगेंद्र सिंह भी पकड़ा गया था. जमानत पर बाहर आने के बाद जोगेंद्र सिंह ने राजस्थान का रुख किया. यहां चुरू जिले में परिचित ओमप्रकाश के साथ मिलकर (ओमप्रकाश जोगेंद्र सिंह यूनिवर्सिटी) ओपीजेएस यूनिवर्सिटी खोली. इसके अलावा मीडिया चैनल भी शुरू किया. मार्केटिंग कंपनी शुरू की. एसओजी के मुताबिक मुकदमा दर्ज होने के दौरान यूनिवर्सिटी के सह संचालक ओमप्रकाश की मौत हो चुकी है.
फर्जीवाड़े का खुलासा व केस दर्ज होने पर थाईलैंड चला गया जोगेंद्र सिंह
डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि एसओजी की पड़ताल में सामने आया कि 10 अप्रैल को दलालों के पकड़े जाने व एसओजी के मुकदमा दर्ज होने का पता चला तो ओपीजेएस यूनिवर्सिटी का संचालक जोगेंद्र सिंह थाईलैंड चला गया. लंबे वक्त तक वहीं रहा. जोगेंद्र सिंह को पकड़ने के लिए एसओजी ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने की तैयारी कर ली थी. इसी बीच जोगेंद्र सिंह के हरियाणा आने का पता चला. तब एसओजी ने जोगेंद्र सिंह के अलावा गुजरात के पाटन में एमके यूनिवर्सिटी और अलवर में सनराइज यूनिवर्सिटी चलाने वाले जितेंद्र सिंह यादव और जोगेंद्र की महिला मित्र सरिता कड़वासरा को धर दबोचा.
इस तरह हुआ ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के नाम से फर्जी डिग्री बांटने का खुलासा
दरअसल, वर्ष 2022 में आयोजित पीटीआई भर्ती परीक्षा में 1300 आवेदक ऐसे थे. जिन्होंने अपने दस्तावेजों में बीपीएड की डिग्री ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से लेना बताया. इनमें से 81 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में सफल होकर सरकारी नौकरी प्राप्त कर ली. इस बीच एसओजी के पास ओपीजेएस व सनराइज यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री व सर्टिफिकेट देने की गोपनीय शिकायतें पहुंची. तब एडीजी वीके सिंह व डीआईजी परिस देशमुख के सुपरविजन में एडिशनल एसपी धर्माराम गिला व सतनाम सिंह को शिकायत के सत्यापनों की जांच सौंपी गई.
सबसे पहले यूनिवर्सिटी के कर्मचारी और बेटे सहित 4 दलालों को पकड़ा
डीआईजी एसओजी राजस्थान परिस देशमुख ने बताया कि एसओजी की टीम ने चूरू में राजगढ़ के सुभाष पूनिया व अन्य दलालों को चिन्हित किया. इसके बाद बोगस ग्राहक बनकर फर्जी डिग्री पाने का डिकॉय ऑपरेशन किया. जिसमें एसओजी ने सबसे पहले सुभाष पूनिया को गिरफ्तार किया. वह वर्ष 2015 से ओपीजेएस यूनिविर्सिटी में काम कर रहा था. करीब 2 से 3 लाख रुपए लेकर फर्जी डिग्री दिलवा रहा था. वहीं, दलालों को करीब 50 हजार रुपए तक कमीशन दे रहा था.
फर्जी डिग्री छापने वाले समेत अन्य दलाल भी पकड़े गए
एसओजी ने सुभाष पूनिया के साथ ही उसके बेटे परमजीत सिंह को पकड़ा. जो कि बसेड़ी धौलपुर में सरकारी स्कूल में शारीरिक शिक्षक था. इसके अलावा प्रदीप कुमार शर्मा और फर्जी डिग्री छापने वाले प्रिंटर प्रेस संचालक राकेश शर्मा को राजगढ़ चूरू से धरदबोचा. 10 अप्रैल 2024 को डीआईजी परिस देशमुख ने दलालों के पकड़े जाने पर फर्जी डिग्री देने वाले रैकेट का खुलासा किया. इनमें कई सर्टिफिकेट, सील मुहर एसओजी को जांच के दौरान मिली.
दलालों ने भी अपने नाम से बनवाई हाई क्वालिफिकेशन डिग्री कोर्स सर्टिफिकेट
एसओजी ने यूनिवर्सिटी में दलाली कर फर्जी डिग्री बांटने वाले करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया. उनके एजुकेशन क्वालिफिकेशन जांच की तो सामने आया कि दलालों ने भी अपने नाम से कई बड़ी डिग्री कोर्स के सर्टिफिकेट बनवा रखे थे. यह देखकर एसओजी के अफसर भी हैरान रह गए. एजुकेशन की आड़ में फर्जी डिग्री बांटने वाली इस गैंग का खुलासा होने के बाद कई और भी निजी यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट एसओजी के रडार पर है. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में खुलासे होने पर आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी देखने को मिल सकती है.