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रेलवे स्टेशन के बाद अब पूरा हाईवे भी पानी में डूब गया, टोल प्लाजा पर उठीं समुंद्र-सी लहरें

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बारिश का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मुंबई में तो बारिश ने कहर मचाया हुआ है. सबसे ज्यादा नुकसान उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है. यहां नदी-नाले उफान पर हैं. आलम ये है कि कुछ नदियां तो अपनी सारी हदें तोड़ती हुईं आबादी तक आ गई हैं. रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड से लेकर स्कूल-बाजार तक पानी में डूबे हुए हैं. उत्तराखंड के कई हिस्सों में सोमवार को लगातार बारिश जारी रही जिससे कुमाऊं क्षेत्र की नदियां उफान पर हैं, सैकड़ों सड़कें बंद हो गई हैं और चंपावत तथा उधमसिंह नगर जिलों के कई गांवों में भारी जलभराव हो गया है.

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सोमवार को उधमसिंह नगर के खटीमा में जबरदस्त बारिश हुई. तेज बारिश के कारण चारों तरफ पानी ही पानी हो गया. नेपाल और पिथौरागढ़ को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे भी पानी में पूरी तरह से डूब गया. खटीमा के टोल प्लाजा के आस-पास इतना पानी भर गया कि पूरा टोल बूथ ही पानी में ही डूब गया. पानी भरने के बाद टोल प्लाजा का ऑपरेशन रोकना पड़ा. खटीमा के साथ भी बनबसा और नानकमत्ता के इलाकों में पानी भर गया है.

उधम सिंह नगर जिले के खटीमा और सितारगंज के अलावा चंपावत जिले के पूर्णागिरि डिवीजन में पानी भरने के कारण पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल- एनडीआरएफ और राज्य आपदा प्रतिवादन बल -एसडीआरएफ के जवाने को लगभग 200 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा. इन लोगों ने होटल, सामुदायिक भवनों और अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है.

इस बीच राहत की बात ये है कि बारिश के चलते रोकी गई चारधाम यात्रा फिर से शुरू हो गई है. अपर आयुक्त (गढ़वाल) नरेंद्र सिंह क्वीरियाल ने बताया कि गढ़वाल इलाके में मौसम में सुधार के बाद चार धाम यात्रा सोमवार को फिर से शुरू हो गई.

देहरादून स्थित राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र ने बताया कि पिथौरागढ़ में 125.50 मिमी बारिश हुई है, जहां काली, गोरी और सरयू नदियां खतरे के निशान के नजदीक बह रही हैं. राज्य भर में 200 से अधिक ग्रामीण सड़कें भूस्खलन के मलबे से अवरुद्ध हो गई हैं. पिथौरागढ़ जिले में लगातार बारिश हो रही है, जिससे दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जिले के मुनस्यारी सब डिवीजन के तेजम गांव में सबसे अधिक 200 मिमी बारिश दर्ज की गई.

टनकपुर से पिथौरागढ़ तक का बारहमासी मार्ग भारी बारिश के कारण पिछले चार दिनों में कई बार बंद हो चुका है. इसे पिथौरागढ़ और चंपावत दोनों जिलों की जीवन रेखा माना जाता है.

जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी बीएस महार ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले में बारिश के बाद छह सीमावर्ती सड़कों और 21 ग्रामीण सड़कों सहित 28 से अधिक सड़कें अवरूद्ध हो गई हैं.

रेलवे स्टेशन के बाद स्टेडियम में पानी भरा
नैनीताल जिले में हल्द्वानी के पास नदियां और नाले उफान पर हैं, गौला नदी का जलस्तर बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के पास जमीन का कटाव शुरू हो गया है.

अब धूप से खतरा
बारिश के कहर के बाद अब पहाड़ों पर खिली धूप भी लोगों के जी का जंजाल बन गई है. धूप खिलने के कारण पहाड़ चटकने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. जोशीमठ से एक किलोमीटर पहले बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जोगी धारा के पास बाधित हो गया है. हालांकि मौके पर दो जेसीबी मशीन लगाकर रास्ते को खोलने का काम जारी है.

हिमाचल प्रदेश में भी आफत
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सोमवार को बारिश के कारण भूस्खलन की कई घटनाओं के चलते प्रशासन को एक राजमार्ग समेत 70 से अधिक सड़कों को बंद करना पड़ा. शिमला-किन्नौर मार्ग, किन्नौर जिले में नाथपा स्लाइडिंग प्वाइंट के पास अवरुद्ध हो गया.

राज्य के आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग 5 के अलावा 70 सड़कों पर यातायात रोक दिया गया है. इन में मंडी में 31, शिमला में 26, सिरमौर और किन्नौर में चार-चार, हमीरपुर और कुल्लू में दो-दो और कांगड़ा जिले में एक सड़कें शामिल हैं.

Daily Jagran
Author: Daily Jagran

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